अगर आपके ऊपर किसी ग्रह की महादशा या साढ़ेसाती चल रही है या फिर आप सभी ग्रहों पर विजय प्राप्त करना चाहते हैं, तो धार्मिक ग्रंथो के अनुसार आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से करने पर आपको इसमें लाभ की प्राप्ति होगी. साथ ही आप हर काम में सफलता पाना चाहते हैं, तो आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से आपको लाभ मिलेगा. धार्मिक ग्रंथो के अनुसार आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव भी कम हो जाता है. यानी आप पर साढ़ेसाती और ढैय्या के चलते जो दुख और परेशानी आ रही है वह सूर्य देव के निमित्त आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से खत्म हो जाएगी. आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ ग्रहों के देवता सूर्य देव के निमित्त सुबह सूर्योदय के समय किया जाता है.
आदित्य हृदय स्तोत्र के बारे में ओर अधिक जानकारी देते हुए हरिद्वार के ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री ने बताया कि हृदय स्तोत्र का पाठ भगवान सूर्य के निमित्त किया जाता है. यदि रोजाना सुबह सूर्योदय के समय आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ किया जाए, तो जातक को इसका विशेष लाभ प्राप्त होता है. जातक के ऊपर चल रही साढ़ेसाती, ढैय्या का प्रभाव कम होने के साथ ग्रहों की महादशा का भी प्रभाव नहीं पड़ता है. वह बताते हैं कि प्राचीन काल में जब भगवान राम और रावण का अंतिम युद्ध था, तो तपस्वी ऋषि मुनि अगस्त्या के कहने पर भगवान राम ने अपने अंतिम युद्ध से पहले आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ किया था, जिसको करने के बाद उन्होंने रावण का वध कर बुराई पर विजय प्राप्त की थी.
ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि धार्मिक ग्रंथो के अनुसार आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना श्रेष्ठ होता है. रोजाना आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ सूर्योदय के समय करने से सभी राशियों के जातकों को विशेष फायदा होता है. यदि किसी जातक के ऊपर ग्रहों की महादशा, साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही हो तो विशेषकर उनके द्वारा आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना विशेष लाभकारी होता है. जहां इस पाठ को करने से महादशा, साढ़ेसाती और ढैया का प्रभाव कम होता है, वहीं शरीर में उत्पन्न विकार भी खत्म हो जाते हैं. वहीं आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ रोजाना करने से सभी ग्रहों पर विजय प्राप्त हो जाती है. वह बताते हैं कि यदि रोजाना सुबह सूर्योदय के समय सूर्य देव को तांबे के लोटे से जल दिया जाए, तो आंखों की रोशनी बढ़ने के साथ शरीर के सभी रोग भी खत्म हो जाते हैं.