भोपाल
पुल, पुलिया, आंगनवाड़ी, पंचायत, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, स्कूल भवन या फिर अन्य अधोसंरचना से जुड़े छोटे-मोटे कामों के लिए विधायकों को सरकार का मुंह नहीं देखना होगा। वे विधानसभा क्षेत्र निर्वाचन निधि (विधायक निधि) से ही यह काम करा सकेंगे। सरकार विधायक निधि दोगुनी करने की तैयारी में है। इसे उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों की तरह 5 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष किया जा सकता है। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भाजपा विधायक दल की बैठक में परामर्श के बाद यह निर्णय लिया जाएगा।
विधायक निधि बढ़ाने की हुई थी मांग
प्रदेश में विधायकों को अभी क्षेत्र विकास के लिए ढाई करोड़ की निधि मिलती है। 75 लाख रुपये स्वेच्छानुदान के अलग से दिए जाते हैं। क्षेत्र की जरूरतों के हिसाब से यह राशि अपर्याप्त है। ऐसे में विधायकों ने निधि को पांच करोड़ और स्वेच्छानुदान को बढ़ाकर एक करोड़ रुपये करने की मांग की है। विधानसभा के मानसून सत्र में भी उन्होंने विधायक निधि बढ़ाने की मांग की थी, जिस पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने समिति बनाकर विचार करने का आश्वासन दिया था। संसदीय कार्य विभाग ने समिति को अन्य राज्यों में विकास निधि संबंधी रिपोर्ट दी है, जिसका अध्ययन करने के बाद सदस्यों से राय ली जाएगी।
पूंजीगत निवेश को बढ़ावा देने की प्राथमिकता
सूत्रों का कहना है कि राशि पांच करोड़ रुपये प्रतिवर्ष करने पर समिति में सहमति बनी है। विधायक से पूछकर क्षेत्र में 15 करोड़ रुपये के काम सरकार ने निर्वाचन क्षेत्र विकास के लिए विधायक को 15 करोड़ रुपये तक के काम कराने का अवसर दिया है। इसके लिए विजन डाक्टूमेंट तैयार कराए गए हैं। इस आधार पर विकास कार्यों को हरी झंडी दी जा रही है। दरअसल, सरकार की प्राथमिकता पूंजीगत निवेश को बढ़ावा देने की है। विजन डाक्टूमेंट में भी अधोसंरचना विकास के काम पर जोर अधिक है।