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Reading: छत्तीसगढ़ में ‘गुड गवर्नेंस’ का नया अध्याय, CM विष्णुदेव साय ने शुरू की गुड गवर्नेंस फेलोशिप योजना….
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छत्तीसगढ़छत्तीसगढ़ जनसंपर्क

छत्तीसगढ़ में ‘गुड गवर्नेंस’ का नया अध्याय, CM विष्णुदेव साय ने शुरू की गुड गवर्नेंस फेलोशिप योजना….

News Desk
Last updated: 2025/07/30 at 5:17 PM
News Desk
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15 Min Read
छत्तीसगढ़ में ‘गुड गवर्नेंस’ का नया अध्याय, CM विष्णुदेव साय ने शुरू की गुड गवर्नेंस फेलोशिप योजना….
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रायपुर: छत्तीसगढ़ राज्य में जब मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सत्ता की बागडोर संभाली, तब ही उन्होंने स्पष्ट रूप से कह दिया था कि सरकार का काम है जनसेवा और जनसेवा तभी संभव है जब प्रशासनिक प्रक्रियाएं सरल, पारदर्शी और जवाबदेह हों। इस सोच ने राज्य के प्रशासनिक ढांचे में आमूलचूल परिवर्तन की आधारशिला रखी। शासन में आम नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित करने, उन्हें अनावश्यक दौड़ धूप से मुक्ति दिलाने, हर सेवा को “समयबद्ध” और “डिजिटल” बनाने का जो अभियान आरंभ हुआ, वह आज छत्तीसगढ़ में ‘गुड गवर्नेंस’ का पर्याय बन चुका है। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री गुड गवर्नेंस फेलोशिप योजना की शुरुआत हो चुकी है. इस योजना के तहत IIM रायपुर द्वारा दो वर्षीय पब्लिक पॉलिसी एंड गवर्नेंस में पाठ्यक्रम संचालित होगा. सुशासन में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा ये नवाचार किया गया है।

Contents
छत्तीसगढ़ में ई-गवर्नेंस से बढ़ती पारदर्शिता”CG e-Seva” पोर्टल का क्रांतिकारी उपयोगछत्तीसगढ़ का पंजीयन विभाग तेजी से हो रहा डिजिटलई-ऑफिस प्रणाली से ई-गवर्नेंस को मिल रहा बढ़ावाएकल खिड़की(सिंगल विंडो) प्रणाली – जनसेवा केन्द्र” का विस्तार- हर पंचायत में जनसेवा केन्द्रनगरीय निकायों में ‘डिजिटल लोक सेवा केंद्र’भू-अभिलेख और भूमि संबंधी सुधार के लिए “भू-लेख सुविधा” ऐप और पोर्टलडिज़ीटेलाइजेशन से किसानों के लिए विशेष प्रशासनिक सुधारडिज़ीटेलाइजेशन से पेंशन और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की प्रक्रिया हो रही सरलडिजीटल साक्ष्य से बन रही न्यायिक प्रक्रिया पारदर्शीशिक्षा और छात्रवृत्ति प्रक्रियाएं भी अब हो रही है डिजिटलनागरिक अधिकारों की सूचना – RTI प्रक्रिया में भी आ रही सरलताउद्योग और व्यापार के लिए प्रशासनिक सरलीकरणस्वास्थ्य सेवाएँ भी हो रही है डिजिटल आ रहा है प्रक्रियात्मक सुधार
छत्तीसगढ़ में ई-गवर्नेंस से बढ़ती पारदर्शिता”CG e-Seva” पोर्टल का क्रांतिकारी उपयोग

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सरकार ने सबसे पहले ‘ई-गवर्नेंस’ को व्यवहार में उतारते हुए “CG e-Seva” पोर्टल को पुनः डिज़ाइन कर जन-सुविधाओं का डिजिटल एकीकरण किया। इस पोर्टल के माध्यम से अब जन्म, मृत्यु, निवास, जाति, आय प्रमाणपत्र ऑनलाइन आवेदन पर मिल रहे हैं। शासकीय आवेदनों की स्थिति ट्रैक करने की सुविधा बनी है। गत 21 अगस्त को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राज्य के प्रशासनिक कार्यों में ई-गवर्नेंस और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए तीन नए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का अनावरण किया। इस लॉन्च में ई-ऑफिस प्रणाली, मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) पोर्टल और ‘स्वागतम’ पोर्टल शामिल थे। ये नए उपकरण विभिन्न सरकारी कार्यों में आईटी समाधानों को शामिल करके दक्षता बढ़ाने और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।

छत्तीसगढ़ का पंजीयन विभाग तेजी से हो रहा डिजिटल

पंजीयन विभाग को डिजिटल करने के साथ ही रजिस्ट्री प्रक्रिया को भी पूरी तरह से ऑनलाइन और पारदर्शी बनाने के लिए 10 नई डिजिटल सुविधाओं की शुरुआत की गई है, जिनमें आधार आधारित प्रमाणीकरण, ऑनलाइन दस्तावेज़ों की खोज और नकल, घर बैठे रजिस्ट्री, डिजी-लॉकर सुविधा और स्वचालित नामांतरण जैसी महत्वपूर्ण कार्य शामिल हैं। डिजिटल हो रहे पंजीयन विभाग में अब आधार-आधारित प्रमाणीकरण से पक्षकारों की पहचान बायोमैट्रिक के माध्यम से सीधे आधार डेटा से की जाएगी। ऑनलाइन सर्च और डाउनलोड से नागरिक खसरा नंबर का उपयोग करके संपत्ति के दस्तावेज़ ऑनलाइन खोज और डाउनलोड कर सकते हैं, जिससे कार्यालयों के चक्कर काटने की आवश्यकता नहीं होगी।

एकीकृत कैशलेस भुगतान से 
स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क का भुगतान UPI, कार्ड या नेट बैंकिंग के माध्यम से एक ही प्लेटफॉर्म पर किया जा सकता है। 
घर बैठे रजिस्ट्री की सुविधा से ऑनलाइन दस्तावेज़ निर्माण, आधार प्रमाणीकरण और ऑनलाइन फीस भुगतान के बाद घर बैठे ही रजिस्ट्री संभव है, जिससे विशेषकर वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों को लाभ होगा। स्वतः नामांतरण सुविधा से अचल संपत्ति के पंजीयन के तुरंत बाद राजस्व रिकॉर्ड में स्वतः नामांतरण हो जाएगा, जिससे समय की बचत होगी और फर्जीवाड़े से बचाव होगा। डिजिटल भार प्रमाणपत्र से 
ऋण, दावे और बंधक जैसे कानूनी भारों का विवरण ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा। डिजिटल दस्तावेज़ (डिजीडॉक्यूमेंट) से 
शपथ पत्र और अनुबंध जैसे दस्तावेजों को डिजीडॉक्यूमेंट के रूप में तैयार किया जा सकता है और शुल्क डिजिटल रूप से चुकाया जा सकता है।

डिजी-लॉकर की सुविधा से रजिस्ट्री दस्तावेजों को डिजी-लॉकर में सुरक्षित रूप से संग्रहीत किया जा सकेगा। स्वचालित डीड जनरेशन से दस्तावेज़ निर्माण से लेकर पंजीयन तक की प्रक्रिया स्वचालित होगी, जिससे अलग-अलग चक्कर लगाने की आवश्यकता नहीं होगी। 
और वॉट्सऐप मैसेज सर्विसेज से पक्षकारों को संदेशों के माध्यम से सूचनाएं भेजी जाएंगी। 
यह डिजिटल क्रांति छत्तीसगढ़ में भूमि-संबंधी सेवाओं के डिजिटलीकरण और सरलीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका लक्ष्य संपत्ति के लेन-देन को अधिक सुलभ, कुशल और नागरिक की सुविधा के अनुकूल बनाना है।

ई-ऑफिस प्रणाली से ई-गवर्नेंस को मिल रहा बढ़ावा

छत्तीसगढ़ सरकार ने ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देने और सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से ई-ऑफिस प्रणाली को चरणबद्ध तरीके से लागू किया है।1 जनवरी 2025 को विभागीय सचिवों की बैठक में सभी विभागों और कार्यालयों में ई-ऑफिस को लागू करने के निर्देश दिए गए थे।अब तक बहुत से विभागाध्यक्ष कार्यालयों को ई-ऑफिस प्रणाली से जोड़ा जा चुका है और जिला स्तर पर भी इसे लागू करने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। आज सामान्य प्रशासन विभाग की अधिकांश फाइलें ई-ऑफिस के माध्यम से ही निपटाई जा रही हैं।
ई-आफिस प्रणाली से दस्तावेजों को एक से दूसरे ऑफिस भेजने में लगने वाला समय बचेगा। दस्तावेजों में हेरफेर और गायब होने की आशंका नहीं रहेगी। डिजिटल माध्यम में दस्तावेज सुरक्षित रहेंगे।तय समयसीमा में फाइलों का निराकरण हो सकेगा। अधिकारियों के कामकाज की मॉनिटरिंग भी आसान हो जाएगी। स्वागतम पोर्टल से आनलाइन आवेदन करने पर बिना प्रतीक्षा और कतार में लगे एसएमएस और ई-मेल के माध्यम से मिलने के समय की जानकारी मिल जाएगी। इससे लोगों का समय बचेगा।

एकल खिड़की(सिंगल विंडो) प्रणाली – जनसेवा केन्द्र” का विस्तार- हर पंचायत में जनसेवा केन्द्र

विष्णुदेव साय सरकार ने राज्य के 11,000 से अधिक पंचायतों में “जनसेवा केन्द्रों” को सक्रिय किया है। अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी राशन कार्ड आवेदन,कृषि पंजीकरण,छात्रवृत्ति,बिजली बिल भुगतान और मनरेगा जॉब कार्ड से संबंधित सेवाएं एक ही स्थान पर मिल रही हैं। इससे उनके आवागमन में लगने वाला समय और खर्च बच रहा है।

नगरीय निकायों में ‘डिजिटल लोक सेवा केंद्र’

शहरी क्षेत्रों में भी सभी निगमों व नगरपालिकाओं में डिजीटल लोक सेवा केंद्र खोले गए हैं। अब नगरपालिका से जुड़े सारे कार्य जैसे जलकर, हाउस टैक्स, ट्रेड लाइसेंस ऑनलाइन हो रहे हैं।एकल खिड़की प्रणाली, जिसे अक्सर राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली (NSWS) के रूप में जाना जाता है, यह एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो निवेशकों को व्यवसाय शुरू करने और संचालन के लिए आवश्यक नियामक अनुमोदनों की पहचान करने और उनके लिए आवेदन करने में मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करती है। यह एक “जनसेवा केंद्र” की तरह कार्य करती है, लेकिन मुख्य रूप से व्यवसाय और निवेश के संदर्भ में, जहाँ उपयोगकर्ता को केवल एक बार लॉग इन करके अपनी जानकारी प्रस्तुत करनी होती है।

डिजिटल प्लेटफॉर्म एक ऑनलाइन प्रणाली है जो केंद्रीय और राज्य स्तर पर विभिन्न अनुमोदनों के लिए आवेदन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करती है। इसका मुख्य उद्देश्य निवेशकों को उनके व्यवसाय से संबंधित विभिन्न सरकारी स्वीकृतियों और अनुमतियों को आसानी से प्राप्त करने में मदद करना है। “अपने अनुमोदन जानें” (KYA) मॉड्यूल के माध्यम से, NSWS उपयोगकर्ताओं को उनकी व्यावसायिक आवश्यकताओं के अनुसार आवश्यक अनुमोदनों की पहचान करने में मार्गदर्शन करता है।
यह विभिन्न विभागों और राज्यों को एक ही मंच पर एकीकृत करता है, जिससे निवेशकों को कई प्लेटफार्मों पर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती। यह एप व्यापार करने में आसानी (Ease of Doing Business – EODB) प्रदान करता है और प्रक्रिया को तेज करता है और उसकी पारदर्शिता बढ़ाता है।

एकल खिड़की प्रणाली एक डिजिटल “जनसेवा केंद्र” के रूप में काम करती है, जो निवेशकों को एक ही मंच के माध्यम से विभिन्न सरकारी अनुमोदनों और सेवाओं तक पहुंचने की सुविधा प्रदान करती है, जिससे व्यापार करना आसान और अधिक कुशल हो जाता है।

भू-अभिलेख और भूमि संबंधी सुधार के लिए “भू-लेख सुविधा” ऐप और पोर्टल

अब राज्य के नागरिक अपने मोबाइल से ही खतियान (खसरा-खतौनी),नक्शा,रकबा और नामांतरण की स्थिति देख सकते हैं। इससे बिचौलियों पर लगाम लगी है और किसान आत्मनिर्भर हुए हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर अब भूमि नामांतरण प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन हो गई है।”डिजिटल म्युटेशन” प्रणाली से सटीक समय-सीमा और डिजिटल ट्रैकिंग से भ्रष्टाचार में भारी कमी आई है।

डिज़ीटेलाइजेशन से किसानों के लिए विशेष प्रशासनिक सुधार

राज्य भर में 2500 से अधिक कृषक सुविधा केंद्र खोले गए हैं, जहाँ खाद-बीज की उपलब्धता,
भूमि परीक्षण की सुविधा,किसान क्रेडिट कार्ड आवेदन,ऋण माफी/लाभ योजना की जानकारी
अब आसानी से मिल रही है। “ई-कृषि मंडी” पोर्टल के सहयोग से अब किसान अपने उत्पादों को ऑनलाइन मंडी प्लेटफॉर्म पर बेच सकते हैं, जिससे उन्हें बेहतर मूल्य मिल रहा है और दलालों से मुक्ति मिली है।

डिज़ीटेलाइजेशन से पेंशन और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की प्रक्रिया हो रही सरल

“संपर्क” प्रणाली से अब बुजुर्गों को वृद्धावस्था पेंशन के लिए आवेदन के बाद महीनों तक प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती। ऑनलाइन आवेदन के तुरंत बाद पात्रता जाँच शुरू हो जाती है और अधिकतम 30 दिनों में पेंशन राशि सीधे खाते में जाती है। एकीकृत सामाजिक सुरक्षा ऐप में दिव्यांग, विधवा, असहाय, वृद्ध – सभी को एक ही प्लेटफॉर्म पर आवेदन की सुविधा है।

डिजीटल साक्ष्य से बन रही न्यायिक प्रक्रिया पारदर्शी

राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की दूरदर्शिता का ही परिणाम है कि अब शपथपत्रों के स्थान पर डिजीटल सत्यापन हो रहा है, जिससे नागरिकों को दस्तावेज़ बनवाने की झंझट से मुक्ति मिली है। यह कदम विशेषकर ग्रामीण जनता के लिए क्रांतिकारी साबित हो रहा है।छत्तीसगढ़ में न्यायिक प्रक्रियाओं को अधिक सशक्त, दक्ष और सुरक्षित बनाने की दिशा में डिजिटल साक्ष्य के उपयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है, जिससे आवेदन प्रक्रिया में पारदर्शिता आ सके। इसके लिएप्रदेश के सभी जिलों के कलेक्टरों को निर्देश दिया है कि अदालती मामलों में अभियुक्तों और साक्षियों की उपस्थिति यथासंभव ऑडियो-वीडियो इलेक्ट्रॉनिक साधनों के माध्यम से सुनिश्चित की जाए।

शिक्षा और छात्रवृत्ति प्रक्रियाएं भी अब हो रही है डिजिटल

“छात्रवृत्ति पोर्टल”के सरलीकरण से अब अब छात्रों को पिछड़ा वर्ग/SC/ST छात्रवृत्ति,मेधावी छात्र योजना,
और कन्या शिक्षा जैसी योजनाओं के लिए ऑनलाइन आवेदन की सुविधा मिली है जिसका ट्रैकिंग भी संभव है। प्रमाणपत्रों की डिजीटल सत्यापन प्रणाली से विद्यालयों और महाविद्यालयों को दिए गए लॉगिन के माध्यम से छात्र अब सीधे डिजिटल हस्ताक्षरित प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकते हैं।

नागरिक अधिकारों की सूचना – RTI प्रक्रिया में भी आ रही सरलता

ऑनलाइन RTI आवेदन की सुविधा से अब राज्य सूचना आयोग की वेबसाइट पर जाकर नागरिक सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।सरकार ने RTI को प्रभावी बनाने के लिए सभी विभागों में 30 दिनों में उत्तर देने की बाध्यता लागू की है जिस पर विभागों की निगरानी हो रही है।

उद्योग और व्यापार के लिए प्रशासनिक सरलीकरण

“छत्तीसगढ़ उद्योग मित्र” पोर्टल से अब व्यापारियों और उद्योगपतियों को लाइसेंस, एनओसी, भूमि आवंटन आदि के लिए *एकल खिड़की व्यवस्था मिली है।राज्य निवेश प्राधिकरण के माध्यम से अब समयबद्ध स्वीकृति हो रही है। स्टार्टअप पंजीकरण और सब्सिडी ऑनलाइन से नए उद्यमियों को अब वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन की सुविधा मिली है, जिससे प्रक्रियागत बाधाएँ समाप्त हो गई हैं। प्रशासनिक दखल कम कर प्रक्रिया को सरलीकृत बनाने के लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने 2 जुलाई 2024 को निवेशकों और नए उद्योग लगाने वालों की सुविधा के लिए विभिन्न क्लीयरेंस और स्वीकृतियां शीघ्रता से प्रदान करने की मंशा से सिंगल विंडो पोर्टल 2.0 का शुभारंभ किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि “यह पोर्टल उद्यमियों के लिए अत्य आसान और उपयोग करने में सुगम होगा। प्रदेश में संसाधनों के विपुल भंडार है और औद्योगिक विकास के भी असीम अवसर उपल हैं। उद्योग विभाग की इस नई व्यवस्था से सभी सुविधाएं एक क्लिक पर उपलब्ध होगी। उद्योगों की स्थापना की प्रक्रिया आसान होने से निवेश में उनक रुचि बढ़ेगी और युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। व्यवसायियों को आवश्यक विभागीय अनुमति-सहमति और क्लीयरेंस के लिए भटकना ना पड़ेगा और ना ही अलग-अलग विभागों में आवेदन करने की आवश्यकता होगी। इस नए पोर्टल में विभागीय अधिकारियों को भी जिम्मेदारियां दी गई है और उन पर आवेदनों के समय पर निराकरण की जवाबदेही भी होगी।”

स्वास्थ्य सेवाएँ भी हो रही है डिजिटल आ रहा है प्रक्रियात्मक सुधार

“मुख्यमंत्री डिजिटल हेल्थ कार्ड” योजना के तहत राज्य सरकार ने प्रत्येक नागरिक को यूनिक हेल्थ ID देने का कार्य शुरू किया है जिससे अब मरीजों का मेडिकल इतिहास डिजिटली संचित हो रहा है और अस्पतालों में पंजीकरण प्रक्रिया तेज और आसान होने लगी है। आयुष्मान भारत व मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य योजना के तहत अब पात्र परिवार सीधे “CG स्वास्थ्य सुविधा ऐप” से अपना कार्ड डाउनलोड कर सकते हैं और सूचीबद्ध अस्पतालों की जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक व्यवस्थाओं का जो सरलीकरण हुआ है, उसने आम नागरिक को ‘सेवाग्राही’ से ‘सशक्त सहभागी’ बना दिया है। प्रक्रियाएं अब किसी अधिकारी के मूड पर नहीं बल्कि तय समयबद्ध ढांचे पर चल रही हैं। बिचौलियों की भूमिका खत्म हो रही है, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा है, और सबसे महत्वपूर्ण बात – आम नागरिक अब खुद को शासन का हिस्सा महसूस कर रहा है।

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