हिंदू धर्म में मान्यताओं के अनुसार घर में कई पौधे लगाएं जाते हैं. इन्हीं में से एक बरगद का पौधा भी है. धार्मिक दृष्टि से बरगद के पेड़ को शुभ माना गया है लेकिन कुछ लोग इसे घर में लगाने से बचते हैं क्योंकि बरगद का पौधा जब पेड़ बनता है, तब इसका आकार काफी बड़ा हो जाता है. इस वजह से यह घर के लिए नुकसानदायक हो सकता है. बरगद का पौधा खासतौर पर धार्मिक मान्यताओं के अनुसार लगाया जाता है लेकिन इसके लिए ऐसा स्थान चयनित किया जाता है, जिस जगह पर ज्यादा आबादी न हो.
कि बरगद का पेड़ काफी विशालकाय होता है, जिस कारण इसे घर में नहीं लगाया जाता है. यदि आपके पास काफी खुली जगह है, तो आप इस पौधे को लगा सकते हैं. पौराणिक काल में धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बरगद के पेड़ पर कई कहानियां लिखी गई हैं, जिनमें बरगद के पेड़ की शक्तियों का बखान किया गया है. कई ऋषि-मुनियों ने बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर ज्ञान की प्राप्ति की है. बरगद के पेड़ को शास्त्रों में कहीं भी अशुभ नहीं माना गया है लेकिन इसकी प्राकृतिक आकृति विशालकाय होने के कारण लोग इस पौधे को लगाने से बचते हैं क्योंकि भविष्य में यह पेड़ अनावश्यक रूप से काफी जगह घेर लेता है. फिर भी पौधे को लगाना जरूरी हो, तो किसी खुले स्थान का चयन करना चाहिए ताकि भविष्य में पेड़ मानव जीवन के लिए असुविधाजनक न बने.
बरगद का धार्मिक महत्व
उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म में बरगद के पेड़ को विशेष महत्व दिया गया है. इस पेड़ की पूजा-अर्चना की जाती है. बरगद को वट वृक्ष और अक्षयवट के नाम से भी जाना जाता है. इसको त्रिदेवों का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि इसकी छाल में भगवान विष्णु, जड़ में ब्रह्मा और शाखाओं में भगवान शिव का वास होता है. यह पेड़ लंबे समय तक जीवित रहता है. बरगद के पेड़ की पूजा से अखंड सौभाग्य, आरोग्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. इसी पेड़ के नीचे सावित्री ने अपने पति के लिए नवजीवन मांगा था, इसलिए वट सावित्री के दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखकर वट वृक्ष की पूजा करती हैं.