बांग्लादेश में हुए बवाल के बाद वहां की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भारत में शरण ली थी।
अब वहां सत्ता परिवर्तन के बाद कई विपक्षी दलों ने नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार से शेख हसीना की वापसी की मांग की है।
इस मसले पर जब विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल से पूछा गया कि क्या बांग्लादेश की अंतरिम सरकार हसीना की वापसी की मांग कर सकती है, तो उन्होंने इसे काल्पनिक मामला बताया।
जबकि ये माना कि पड़ोसी मुल्क में चल रही गड़बड़ियों की वजह से विकास के काम रुक गए हैं।
बांग्लादेश में छात्रों के विरोध के बाद शेख हसीना ने 5 अगस्त को भारत में शरण ली थी। फिलहाल वह किसी महफूज जगह पर हैं, लेकिन भारतीय अधिकारियों ने उनके ठिकाने के बारे में जानकारी नहीं दी है।
जायसवाल ने बताया कि बांग्लादेश में अशांति के कारण भारत-बांग्लादेश के बीच चल रही कई परियोजनाएं प्रभावित हुई हैं। उन्होंने कहा, “कानून और व्यवस्था की स्थिति के चलते कुछ प्रोजेक्ट्स पर काम रुक गया है। जैसे ही हालात सामान्य होंगे, हम अंतरिम सरकार से बातचीत करके प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाने की कोशिश करेंगे।”
शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद फैली उथल-पुथल के दौरान सुरक्षा का मसला मुल्क के लिए चुनौतीपूर्ण हो गया था। इसी दौरान ढाका में भारतीय सांस्कृतिक केंद्र पर हमला किया गया और वहां तोड़फोड़ की गई।
हालांकि, बांग्लादेशी अधिकारियों ने पूरी कोशिश की लेकिन इसके बावजूद भारत ने अपने उच्चायोग से सभी गैर-जरूरी कर्मचारियों और उनके परिवारों को निकालने का फैसला किया।
हाल ही में ढाका में भारतीय दूत और यूनुस के बीच हुई बैठक में भारतीय पक्ष ने दोहराया कि भारत बांग्लादेश के साथ मिलकर दोनों देशों के लोगों की समृद्धि, सुरक्षा और विकास के लिए काम करना चाहता है।
दूत ने यूनुस के साथ हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर भी चर्चा की। जायसवाल ने कहा कि फिलहाल बांग्लादेश में सीमित भारतीय वीजा सेवाएं उपलब्ध हैं, और वीजा केवल आपातकालीन या मेडिकल जरूरतों के लिए दिए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, “पूर्ण वीजा सेवाएं तब ही फिर से शुरू की जाएंगी जब हालात सामान्य हो जाएंगे और कानून-व्यवस्था बहाल हो जाएगी।”
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